नारी संघर्ष

बदलाव साहित्य मंच
शीर्षक-नारी संघर्ष
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नारी का जीवन ही क्यों,
संघर्ष से भरी कहानी है।
त्याग सभी चाहें अबला से,
पर मान नहीं क्यों देते हैं।

बचे  कोख में  कटने  से,
तो  ही  पैदा हो  पाती है।
भेदभाव लड़की होने का,
बेटी सबसे क्यों पाती है।

तन के प्यासे कामी भंवरे,
नारी तन को हर जाते हैं।
वो गिद्धों से भी खतरनाक,
माँ बहनों को तड़फाते हैं।

यह मूढमति मानव देखो,
पत्थर  की  देवी  पूजे  है।
घर की देवी पर जुल्म करे,
मर्दानगी का दम भरते हैं।

कुछ लोभी दहेज के भूखे,
क्यों नरक यातना देते हैं।
वो  बेटी  जैसी  है   रमेश,
उसे जला राख क्यों करते हैं।

क्यों  शराब की  भेंट चढ़े,
क्यों जुएँ मे हारी जाती है।
हरपल मेहनत करके भी वो,
सम्मान नहीं क्यों पाती है।

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नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी, अणुआशा, रावतभाटा।
मो.9413356728

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