रामायण लंका कांड से
भोजपुरी गीत
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एक दिन लंका पुरी में अइसन
समय बा आइल ।
सती सुलोजन कक्ष में सगरो
सखिया लोग बिटोराइल।
रंग महल में सती सुलोजन
सोलहो सिंगार सजा के ।
सखियन की संग में पासा खेलत
बाडी़ पती धरम बिसराके।
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खेलेली सुलोचन रे पासा, तबतक ले छवलसी निराशा,
से कटल बहियां गिरल रे तवले दुआरा की ओर हो।
कहेली सुलोचन रे सती, लिख बहियां रत्ती हो रत्ती।
से अइसन दुरगति रे बहियां भ इली क इसे तोर हो।
लिखे बहियां पाई हो पाई, राम जी के छोट हो भाई।
से कटले नट इया हो लक्षुमन रनवा में मोर हो ।।
नागसुता हो गुडीया, फोरेली बांहन के चुडी़या ।
से बाल बिखरवली रे बहेला नैनवा से लोऱ हो।।
नाहीं सती देरी क इली, राम जी की लगे रे ग इली।
से सती होखबी स इया शर मिले प्रभु मोर हो।।
सत से शर पहिचान कर, सती जनी गुनान कर।
से सती तोहरा सत से होइ जग में अजोर हो।
सती पती ध्यान ल गाई, कटल शीरवा हँसल ठठाइ।
से "बाबूराम "नैनवा से बहे लागल लोर हो।।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)
जिला -गोपालगंज (बिहार)
मो०नं०-९५७२१०५०३२
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Badlavmanch
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