राष्टृभाषा हिन्दी अति प्यारी
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सरस सरल सुचितम शुभ न्यारी।
राष्टृ भाषा हिन्दी अति प्यारी ।।
एकताअखंड़ता की पांव है हिन्दी
समरसता सदभाव है हिन्दी ,
सर्वोतम सत्य प्रेम पीयूषी -
सफलता की नाव है हिन्दी।
विश्व सुन्दरी अति हितकारी ।
राष्टृ भाषा हिन्दी अता प्यारी ।।
विश्व दृग की पलक है हिन्दी
आजादी की अलख है हिन्दी ,
शान्ति सुजनता सुख की स्नेहिल-
स्वाधीनता शुभ झलक है हिन्दी
अनुपम विश्व बन्धुत्व पुजारी।
राष्टृ भाषा हिन्दी अति प्यारी।।
हर्ष उत्कर्ष की साज है हिन्दी ,
हर खुशियों की राज है हिन्दी ,
विश्व गुरू भव्य भारत की
अनुप भाल की ताज है हिन्दी।
न्याय नीति राष्टृ बलकारी।
राष्टृ भाषा हिन्दी अति प्यारी।।
स्कूल ,कालेज कोर्ट हर घर में ,
संसद आंफिस बैंक दफ्तर में ,
हिन्दी हक पाये जब अपनी-
नगर बस्ती हर गांव शहर में।
जन-जन को कर दे सुविचारी।
राष्टृ भाषा हिन्दी अति प्यारी।।
हिन्दी हर जन आत्मसात करे।
हिन्दी में ही हर बात करे।
चहुंदिश विकास हो हिन्दी का-
प्रचार- प्रसार दिन -रात करे।
सर्वोपरि शुभदा सुखकारी।
राष्टृ भाषा हिन्दी अति प्यारी।।
आओ हिन्दी खुशहाल बने।
हर भाव से माला-माल बने।
वसुधा पर महक उठे हिन्दी -
हिन्दी जग बीच मिसाल बने।
प्राण प्रण से लो स्वीकारी।
राष्टृ भाषा हिन्दी अति प्यारी।।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम-बड़का खुटहाँ ,पोस्ट-विजयीपुर(भरपुरवा)जिला-गोपालगंज (बिहार)
मो0नं0--9572105832
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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