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🌷आपन भाषा भोजपुरी 🌷
देला उजियार सभके सरधा -सबूरी।
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
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अइसन मिठास, महक एइमें भरल बा।
जे अपनावल फूलाइल -फरल बा।
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केतना लोग पावल एही से मसहूरी
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
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आदर मान सब केहु एही से पावल।
माटी के महक विदेश तक पहुँचावल ।
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कोशिश रही त सगरो आस इहे पुरी।
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
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मन होला खुश ऐइमें बोली -बतिया के।
ढे़र लोग महान भ ईल एही में समा के।
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मिटा देला भेद भाव आपस के दूरी।
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
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इहे बा निहोरा "कवि बाबूराम "के,
आगे बढ़ाई भोजपुरी की नाम के।
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आलस हटाई आई आगे जरुरी।
माटी के महक आपन भाषा भोजपुरी।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन-८४१५०८
मो०नं०-९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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