माँ तेरे बारे में बहुत लिखा है, वेदों और पुराणों में।

नाम-सोनम कुमारी
राज्य-झारखंड
विधा-कविता
शीर्षक-माँ

माँ तेरे बारे में बहुत लिखा है,
वेदों और पुराणों में।
तुझ संग मेरा अलबेला-सा नाता हैं।
बिना तेरे भी एक पल रास नही आता हैं।
माँ तो माँ होती है 
यह मैं क्या सारे जग ने माना हैं।
पर माँ को अनमोल,अमूल्य
 खुद माँ बनकर जाना है।
माँ तेरी बातों को रह-रह दूर जा पहचाना हैं।
माँ तेरी गीतों से मुझकों होती थी तब बाधा,
जब स्वयं उन्मुक्त पवन बन बैठी
मनमानी मैं राधा।
आज वहीं गुनगुनाती रातों को,
कुछ आधा-ही-आधा।
माँ की आँखे, बातें निराली
अनजाने घर कर जाती।
भले अंधेरा जग में हो,
उसमें उजाला भर देती।
नही पसंद मुझे तो पुराने राग अलापना,
माँ मुझको अच्छा लगता तेरा वो धमकाना....
मैं गुरु हुँ तेरा,तुझे राह दिखलाना....
माँ मुझे अच्छा लगता है ,तेरा वो शर्माना।
माँ मुझे अच्छा लगता है, तेरा वो तराना।

Badlavmanch

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