उनकी गफलतों को हम , नज़रंदाज़ करते रहे ।



उनकी गफलतों को हम ,  नज़रंदाज़ करते रहे । 
उन्हें अदावत थी हमसे , 
फिर भी हम प्यार करते रहे ॥ 
जानें कब भड़क जाए मेरे इश्क का शरर । 
उनके  इक़रार का इन्तजार करते रहे  ॥ 

विशाल चतुर्वेदी " उमेश "

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