मंच को नमन
मुक्तक
दोहा छंद और सवैया मैंने चौपाई नहीं सीखी
मुंह भलाई पीठ पै करना मैंने बुराई नहीं सीखी
माणिक सुंदरता का लगा मुखौटा व्यापार नहीं करता
झूठ की करना प्रशंसा मैंने चतुराई नहीं सीखी
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मौलिक मुक्तक
भास्कर सिंह माणिक (ओज कवि एवं समीक्षक) कोंच, जनपद-जालौन,उत्तर- प्रदेश-285205
Badlavmanch
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