तुलसी जी महराज लिखले बानी
*************************
नौमी तिथि मधु मास पुनीता।
सुकल पच्छअभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न घामा।
पावन काल लोक विश्रामा ।।
*************************
भोजपुरी गीत
*****************
दशरथ भवनवा भ इले चारी गो ललनवा, बधाई बाजेला।
मंगल होखेला भवनवा, बधाई बाजेला।
अजबे अनुप राम जनम के कहानी,
रुपवा बदली देखे अइनी भोला दानी।
देव बरसावें फूल चढी़ के विमानवा बधाई बाजेला ।
सोहर उठेला अंगनवा बधाई बाजेला।
सब देव आइ हरि दरसन क इले,
हरि में समाइ आपन लोक ध इले।
रुकी ग इले रथ रबि के बिचही गगनवा बधाई बाजेला।
सोहर उठेला भवनवा बधाई बाजेला।
खुश राजा -रानी दरबार सब नगरीया,
जग मग दीप जले सबकी दुअरीया।
नाचे नट -नाटिनी बाजे छतीसो बजनवा बधाई बाजेला।
सोहर उठेला अंगनवा बधाई बाजेला।
भ इल बा अवध आज देव लोक धाम हो,
हाथ जोडी़ बंदन करे "कवि बाबूराम "हो।
राजा लुटावे सोना -चानी अन्न धनवा बधाई बाजेला।
सोहर उठेला अंगनवा बधाई बाजेला।
*************************
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ, विजयीपुर, गोपालगंजबह (बिहार)
मो०नं०९५७२१०५०३२
************************
On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
0 टिप्पणियाँ