कारगिल के वीरों को रचना समर्पित विजय हमारी निश्चित है

बदलाव मंच को नमन
कारगिल के वीरों को रचना समर्पित
      विजय हमारी निश्चित है
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विजय हमारी निश्चित है यह पक्का वादा है
बच्चा-बच्चा भारत का रण पर आमादा है
हारे तीन बार हथियार तुम्हीं ने डाले थे
भूल गए जब पड़े तुम्हें प्राणों के लाले थे
सारा विश्व जानता तुमको गलत इरादा है
शिमला समझौते का तुमने तोड़ा वादा है
तुम चोरों की भांति घूमते भारत भूतल पर
सारी दुनिया में रोते फिरते हो दर दर पर
भारत के वीरों ने तुमको फिर ललकारा है
कश्मीर का कण कण भी प्राणों से प्यारा है
विजय हमारी निश्चित ही है पक्का वादा है
ओ मौतों के सौदागर धिक्कार रहा हूं मैं
घोर बेशर्म कायर फिर ललकार रहा हूं मैं
भाड़े के गुलाम लेकर उनको कटवाता है
उन्हें पाक ध्वज में लपेटकर जश्न मनाता है
विजय हमारी निश्चित है यह पक्का वादा है
जगह-जगह चोरी से तू हमला करवाता है
जब तेरा हमला तुझ पर होता तब पछताता है
यही कारगिल काल तुम्हारा आंख गढ़ाता है
अब तक की हमदर्दी का जिससे थोड़ा नाता है
विजय हमारी निश्चित है यह पक्का वादा है
माणिक धृणित विचारों को धिक्कार रहा हूं मैं
और तेरे आतंकी बल को ललकार रहा हूं मैं
रोलों कितने लोगों का यहां उठा जनाजा है
भारत का विजय ध्वज जय का शंख बजाता है
विजय हमारी निश्चित है यह पक्का वादा है
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक)कोंच,जनपद-जालौन, उत्तर -प्रदेश -285205

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