विषय: मैं रावण हूं


शीर्षक :  #मैं_रावण_हूं

मैं ब्रह्मा का परपोत्र, मैं ऋषि विश्रवा का पुत्र
मैं दैत्यराज की जन्मा कैकसी का जाया रावण हूं।।

मैं बलवान कुंभकर्ण, मैं रामभक्त विभीषण का भ्राता
मैं इंद्रविजेता मेघनाद, मैं अतिकाय का तात रावण हूं।।

मैं शिव तांडव स्तोत्र से शिव की याचना करने वाला
मैं अर्थ सहिंता का ज्ञाता मैं त्रिकालदर्शी रावण हूं।।

मैं मायावी शक्तियों से परिपूर्ण, अहंकार से भरा हुआ
मैं छल, कपट, दाम, दंड,भेद से विजेता रावण हूं।।

ज्ञात मुझे था अयोध्या में विष्णु ने अवतार लिया
मैं सीता को हरके राम से बैर लेने वाला रावण हूं।।

मैं दशो दिशाओं का ज्ञानी, मैं पांडित्य से ओतप्रोत
मैं राम को विजय श्री का आशीर्वाद देने वाला रावण हूं।।

मैं महाकाल का भक्त मैं कैलाश पर्वत को उठाने वाला
मैं सीता जगदम्बा को हृदय में बसाने वाला रावण हूं।।

सुपर्णखा के कारण हरण किया मैंने पतिव्रता सिया का
मैं उसकी आज्ञा के बिन उसे न हाथ लगाने वाला रावण हूं।।

अपनी ही नहीं सम्पूर्ण राक्षस जाति के कल्याण को सोच
मैं ईश्वर से युद्ध करने के लिए डटा रहने वाला रावण हूं।।

किन्नर, देव, गन्धर्व, राक्षस तुच्छ थे मेरे समक्ष
मैं नर रूप में हरि से मोक्ष पाने वाला रावण हूं।।

जीवन भर दुराचार, अत्याचार किया मैंने परंतु
मैं अपनी मुक्ति का द्वार स्वयं जानने वाला रावण हूं।।

राम के हाथो राम बाण से राम सम्मुख अंत समय मुख से
मैं श्री राम कहकर राम में ही विलीन होने वाला रावण हूं।।

अलका शर्मा
मेरठ (यूपी)

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