अनूठा भारत के भव्य झंड तिरंगा

🌾अनूठा भारत के भव्य झंड तिरंगा 🌾
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सत्यमेव  जयते के  सार  शुभ चंगा।
अनूठा भारत के  भव्य  झंडा तिरंगा।

हरा -भरा  भू  के  प्रतिक  हरा  रंग  है।
शौर्य ,प्यार ,वीरता केशरिया के संग है।
सुचि ,सत्कर्म ,सत्य  सफेद  में उमंग है।
एकत्व ,समत्व ,बन्धुत्व ही तीनों रंग है।

चलना सदा चक्र लक्ष्य कर्म त्याग बेढंगा ।
अनूठा   भारत के  भव्य   झंडा तिरंगा।।

आन बान है शान तिरंगा आश -विश्वास है।
मानवता  महक मृदु वचन सुचि सुवास है।
प्रीत -रित और जीत का सर्वोपरि उजास है।
झंडा  तिरंगा  हर  भारतीय   का स्वांस  है।

पावन की दिव्य भूमि स्वर्ग से आके गंगा।
अनूठा  भारत  के  भव्य   झंडा तिरंगा।।

भारत भूमि तिरंगा की महिमा अपार है।
श्रीहरि  प्रभु  का होता यही अवतार है।
सत्संग ,सेवा से होत जन -मन सुधार है।
वेद-शास्त्र ,गीता का अचूक उजियार है।

तम  गम  भस्मसात  होता  भय भंगा।
अनूठा  भारत  के  भव्य  झंडा तिरंगा।

सेवक ,संत ,ऋषि अदभुत अति महान  हुए।
धर्मी ,सत्कर्मी  कवि  लेखक विव्दान  हुए।
देशभक्त हरिमार्गी  ज्ञानी अति गुणवान हुए।
उत्तम से उत्तम अहा !नरपुंगव अगुआन हुए।

दूर  किये  प्यार से  देश  द्रोह  कु -दंगा।
अनूठा  भारत   के  भव्य  झंडा तिरंगा।।

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम-बड़का खुटहाँ ,विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार )
मो0नं0 - 9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾
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                     1
पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार। 
परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।। 
होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,
सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।
कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण, 
यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।
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                      2
गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल। 
इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।। 
जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना, 
निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना। 
कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा, 
करती भव से पार, सदा ही सबको  गंगा। 
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                       3
जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार। 
है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।। 
सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में, 
वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में। 
कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग, 
निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग। 

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032
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मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित। 
          हरि स्मरण। 
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