शून्य बढ़ाता सदा इकाई


शून्य बढ़ाता सदा इकाई 
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जो यह तथ्य सदा पहिचाने ,
जग में होती सदा बड़ाई ।
जन्म शून्य से मिलता सबको,
शून्य बढाता सदा इकाई ।।
छोटा अहम प्रमाण जन जानें,
ना मन माने ,जग जड़ताई ।
वेदों में महिमा प्रकृति की ,
स्वयं सृष्टि अनंत गहराई ।।
योग करें प्रभु के गुण गायें,
मिलती रहे सदा प्रभुताई ।
सत्य अहिंसा परमो धर्म:,
विनय शीलता है सुखदाई ।।
जब बढ़ लेते ,बढ़ते जाएँ ,
राह मिले पर्वत या खाई ।
विजय पताका फहरादें ,
अनुचर ऐसे राहों के राही ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश )

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