इंद्रधनुष क्या कहता
इंद्रधनुष का नजारा जब भी व्योम में सजता,
अदृश्य तूलिका छिपाकर वह रंगरेज क्या कहता!
जब नीरस सा हो जीवन बादल,
बूंद-बूंद भरना, चित्र फलक सजाना ।।
मनोरम सप्त रंगों की दुनिया में जाकर ,
इंद्रधनुष अद्भुत उपहार बनाकर ।
आशा ,खुशी ,उल्लास ,हर्ष पिरोना ,
मस्ती ,उमंग ,जज्बात को चुनना ।।
प्रभु तेरा अस्तित्व सार्वभौम है कितना,
लाल रंग में बसता प्रेम हो जितना ।
रक्त लाल ,ऊर्जा ,उत्साह साहस जीत को समेटता
ये रंग सात्विक भी है, उत्तेजना ,पराक्रम है कहता।।
नारंगी रंग देता चंचल यौवन जीवन ,
सूर्य सा प्रखर, उन्नत, उज्जवल किरण।
पीला सरसों सुनहरा ,सूर्यमुखी खिले सवेरा।।
अलसाये तन- मन में स्फूर्ति लेता है डेरा ।।
हरित रंग हरियाली का ,समृद्धि का ,खुशहाली का। पुरुषार्थ ,आत्मविश्वास का ,सावनी मीठी बौछार का
सम्मोहन का, सौभाग्य का, ताजगी, शीतलता का सकारात्मकता का रंग, जो बढ़ाता कार्यक्षमता ।।
नीला रंग आसमानी प्यारा,व्यापकता का देवें इशारा
कण-कण में वास तुम्हारा, अनादि, अनंत अपारा।
नील रंग समुद्र समाता,गहनता प्रतीक समझाता।
कृष्ण शोभित नील रंग ,वीरता प्रेम कोमलता संग।।
बैगनी रंग वैभव, ,आकर्षण प्रतीक ,देंवें स्वस्थाय,
विलासिता और आध्यात्मिकता कराता समन्वय।
अनेकता ,अनंतता तृण- तृण में प्रभु की व्यापकता,
इंद्रधनुष अद्भुत नजारा,परमपिता अस्तित्व बताता।
सब रंग जब एक हो जाएँ, शुन्य, श्वेत ,धवल बनाएँ।
जीवन मर्म, दर्शन यही है ,सार्थक यह संदेश बताएँ।
अंशु प्रिया अग्रवाल
मस्कट ओमान
स्वरचित
मौलिक अधिकार सुरक्षित
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