काश
काश मेरे दिल को छू पाओ तुम
बिन कहे मेरे मुझे समझ जाओ तुम
दिल मेरा मोम सा पिघल रहा
काश इस धड़कन के रहते आ जाओ तुम
जल जल कर मिटने की कहानी सुन पाओ तुम
दिले अरमान पहाड़ों पर जमी बर्फ में हैं दब रहे
काश इस छटपन के रहते आ जाओ तुम
हंसी की खनक में सिसकती कसक सुन पाओ तुम
मन - ज़मीन पर यादों के फूल हैं खिल रहे
काश इस खुशबू के रहते आ जाओ तुम
मेरे आलिंगन में हर फूल को स्पर्श कर पाओ तुम
ख्वाहिशों की पोटली हल्की होती जा रही
काश प्राण पखेरू उड़ने से पहले आ पाओ तुम
मर्यादा में लिपटा हुआ एक गहना मुझे पहनाओ तुम
मैं डॉक्टर शिवा अग्रवाल,
#5415, पंजाबी मोहल्ला
अंबाला छावनी, हरियाणा
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