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सत्य सनातन प्रभु भजन ही जग असार में सार ।
सतज्ञान बिन जीवन सूना सूना हरि बिन प्यार।।
विश्व बन्धुत्व एकत्व सत्य बिन सूना सदाउत्थान।
यज्ञ,हवन ,सोडष संस्कार वेद मंत्र बिन सूना जान।
राष्टृ प्रेम ,रक्षा बिन सूना आन-मान और शान।
वेद ज्ञान संस्कृत ,हिन्दी सूना हिन्द महान।
मानवता बिन सकल विश्व में सूना प्रेम व्यवहार।
सत्य ज्ञान बिन जीवन सूना सूना हरि बिन प्यार।
सुना सदगुण आत्मसात बिन नर तन श्रेष्ट महान।
तप-त्याग ,अपनत्व राग बिन सूना है बलिदान।
परहित ,प्रीति,रीति बिन सूना जीवन में मुस्कान।
सदा सेवा सत्संग सहयोग बिन सूना रहता ज्ञान।
प्रेम श्रध्दा विश्वास आश बिन सूना सत्य प्रचार ।
सतज्ञान बिन जीवन सूना सूना हरि बिन प्यार।
परोपकार बिन पुण्य है सूना समता बिन संसार।
सत्य धर्म सदभाव चाव बिन सूना है उपकार।
सतत सतर्क सदा परहेज बिन सूना है उपचार।
अन्तः ज्योति जगे बिन सर्वदा सूना है उजियार।
निज पर साधन बिन सूना जगत बिच अधिकार।
सत्यज्ञान बिन जीवन सूना सूना हरि बिन प्यार।
धनदान बिन तन प्राण बिन वाणी सत्य बिन बात।
संयम नेम सदगुण प्रेम बिन दृढ़ त्याग बिन तात।
मीन जीवन जल बिन सूना है तरूवर बिन पात।
भक्तिभाव बिन स्नेहलगाव बिन है सूना यह गात।
कर्म योनि ही "बाबूराम कवि "लख चौरासी सार ।
सत्त ज्ञान बिन जीवन सूना सूना हरि बिन प्यार ।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम-बड़का खुटहाँ ,पोस्ट-विजयीपुर(भरपुरवा)
जिला-गोपालगंज(बिहार)
मो०नं०- ९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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