परिवार, समाज में लड़कियों के लिए ही बंधन क्यों होते हैं......

लड़की.......

परिवार, समाज में लड़कियों के लिए ही बंधन क्यों होते हैं......
जबकि लड़कों को हर बंधन से आजादी क्यों दिये जाते हैं......
क्यों लड़की के ऊपर ही परिवार, समाज का इज्जत आ जाता है...... 
और लड़का कुछ भी करे तो इनको थोड़ा सा भी फर्क नहीं पड़ता है......
कब तक ये परिवार, समाज की खातिर अपनी खुशियों की बलिदानी देती रहेगी......
 क्यों नहीं ये भी अपनी पसंद की जिंदगी इस परिवार समाज में जिए.......
क्यों इसको परिवार,समाज इसके अनुसार जिंदगी जीने के लिए मजबूर करें.......
इसकी जिससे शादी करने का मन हो उसेसे शादी क्यों नहीं करें......
जातीय और धार्मिक के चक्कर में अपनी जिंदगी को क्यों तबाह करें.......
अगर यह अपने पसंद की लड़की से शादी कर ले तो
इससे पुरुष की समाज में क्यों इज्जत खराब हो जाता है........
इसकी पसंद को इस समाज में क्यों नहीं स्वीकारा जाता है.........
समाज में कुछ लोग इसको गलत बता कर क्यों समाज में फैलाते हैं........
अपने पसंद की शादी करने के बाद इसे क्यों समाज से निकाला जाता है........
इतना ही नहीं ,समाज में इनको असम्माननीय शब्दों से पुकारा जाता है.......
इससे हारकर कुछ तो मौत को गले लगा लेता है और कुछ को मार भी दिया जाता है........
कुछ को परिवार,समाज से बाहर क्यों गुजर-बसर करना पड़ता है.........
क्यों बेटे और बेटियां में इतना अंतर और फर्क समझा जाता है.........
लड़की के साथ तो गर्व से लेकर मरने तक क्यों भेदभाव किया जाता है.........
इस समाज में लड़के को क्यों नहीं अच्छी संस्कार दिया जाता है..........
समाज में लड़की से ही घर की इज्जत क्यों खराब हो जाती है.........  
लड़के ऐसा करने से घर की इज्जत में थोड़ा सा भी आंच नहीं आती है........ 
इस आग में तो कितने  बेटियों की जिंदगी ही बर्बाद हो गई..........
समाज के जातीय और धार्मिक कुंठाओं से कब तक बेटियों की जिंदगी बर्बाद होता रहेगा.........
मैं सिर्फ उन बेटियों की बात कर रहा हूं जो अपने तरीके से जिंदगी जीना चाहती है.........
परिवार और समाज में जो लड़की  के लिए ही बंधन क्यों होते हैं ........
और समाज में लड़के को हर बंधन से आजादी क्यों दिए जाते हैं.........
©रूपक

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1 टिप्पणियाँ

  1. बहुत खूब। बहुत ही अच्छे विचार। समाज को दर्पण दिखाते वक्तव्य।

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