आज नहीं कल नहीं,करूँ मैं बहाना

आज नहीं कल नहीं,करूँ मैं बहाना 
कैसे बताऊँ तुम्हें,दिल का फ़साना 
कैसे बताऊँ सनम दिल का फ़साना 
आज नहीं......
मन की बात मैं कैसे बताऊँ 
शरम से मैं नज़रें झुकाऊँ 
डर लगता है कि,ना तुम रूठ जाओ 
गर रूठ जाओ,तो मैं कैसे मनाऊँ 
लवों से दिल की बात कैसे बताऊँ 
गीत - ग़ज़ल में मेरे तुम ही समाए , 
करती थी पहले मैं भजन और कीर्तन 
लगी है मुझे अब प्रीत की लगन 
गाने लगी हूँ मैं प्रेम तराना 
आज नहीं कल नहीं......-2
कैसे बताऊँ तुम्हें......
तेरी DP को जब ZOOM करके देखती हूँ 
कभी नैनों में छुपा लेती हूँ तो 
कभी चूम लेती हूँ 
आ भी जा अब मेरे पिया हरजाई 
तुम बिन देखो मैं कैसे मुरझाई 
विरह की तपन ने मुझको जलाया 
और कोई रंग मुझे रास ना आया 
तेरा रंग ही मेरे रंग में समाया 
दिल कहता है ये,तू है मेरा ही दिवाना
आज नहीं कल नहीं.......-2
कैसे बताऊँ तुम्हें.....
जब से मैंने ये प्रीत लगाई 
होने लगी हूँ मैं खुद से पराई 
तन्हाई में भी मैं, कभी हँस लेती हूँ 
कभी हँस लेती हूँ तो,कभी रो लेती हूँ, 
छुप के छुपा के मैं आहें हूँ भरती, 
सखियाँ भी मुझसे अब पूछने लगी है 
तुमने कैसी ये रोग लगाई 
आकर साँवरिया अब इसे तुम ही बताना 
आज नहीं कल नहीं.......-2
कैसे बताऊँ तुम्हें.....
तुम्हें ही मैं चाहूँ,तुम्हें ही सराहूँ
तेरे लिए ही मैं,सर ये झुकाऊँ 
बाहों में तेरी मुझे,जीना और मरना 
दिल की मेरी है,यही एक तमन्ना 
तुमसे ही मेरी खुशी और ग़म भी है सारा 
आ भी जा अब,मेरे बलम परदेशी 
दूँगी तुम्हें मैं कोई दिल का नजराना
आज नहीं कल नहीं.....
कैसे बताऊँ तुम्हें......-2
.............................
एकता कुमारी,घनुआँ,खेसर (बाँका ),बिहार।

Badlavmanch

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ