संत सिरोमणि काव्य गगन के , तुम शशि हो अभिराम ।राम कथा के अमर रचयिता , तुलसी तुम्हें प्रणाम ।।

संत सिरोमणि काव्य गगन के , तुम शशि हो अभिराम ।
राम कथा के  अमर  रचयिता ,  तुलसी  तुम्हें  प्रणाम ।।

बोला राम राम बोला ने , प्रथम धरा पर आये ।
जीवन अपना सफल बनाया गीत राम के गाये ।
हुलसी हुलसी मातु गोद में, अत्यल्प सुख पाये ।
अप्रसन्न  पंडित जी बोले , अभुक्त नक्षतर जाये ।
पंचानन प्रसन्न गौरीपति , कैलाश बना सुख धाम ।।१॥
राम कथा के अमर रचयिता, तुलसी तुम्हें प्रणाम ।

श्रावण शुक्ला तिथि सप्तमी का शुभ योग सुपाया ।
पिता आत्माराम  आत्मज को  नही गोद खिलाया ।
हाय विधाता ने फिर बालक से माता को भी छीना ।
कह कर अंतिम राम मातु ने  निज दासी को  दीना ।
अन्न पूर्णा माँ ने आकर , किया पाल पोष का काम ।।२॥
राम कथा के  अमर रचयिता , तुलसी तुम्हें प्रणाम  ।।

शिव संदेश सुना नरहरि ने  , भक्त भाव को पाने ।
अपने शिष्यों के संग निकले  इनकी खोज कराने ।
राजापुर के निकट शिवालय  इस बालक को पाया ।
भावी भक्त जानकर  इनको ,  हरषित हिये लगाया ।
काशी वासी बना गुरू ने ,तब दे दिया विद्या दाम ।।३॥
राम कथा के अमर रचयिता ,तुलसी  तुम्हें प्रणाम ।।

रचयिता
राजेश कुमार तिवारी " मक्खन"
शिक्षक जिला परिषद इण्टर कालेज भेल
पता  : टाइप 2/528 बी.एच.ई.एल.झांसी (उ.प्र.)पिन;284120
मो.०9451131195

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