मत पूछ यह दर्द कितना पुराना है,यही किस्सा तो तुझे अब सुनाना है

मत पूछ यह दर्द कितना पुराना है,
यही किस्सा तो तुझे अब सुनाना है।

यूं ही खामोश रहने दे सितारों को,
अधुरा अफसाना इन्हें सुनाना है।

पूछ ले आंखों से भी उनकी ख्वाहिश,
एक टूटा ख्वाब तुझे भी दिखाना है।

बता दे कब तक बंद रखूं इन लबों को,
वर्ना आंसुओं से हाल बयां हो जाना है।

पूछ ले गुलों से उनकी बेताबी का सबब,
इन्हें भी तो कोई शिकवा तुझे सुनाना है,

गुज़र ही गई रात यूं ही सोचते सोचते,
उसकी उदासी का सबब तुझे बताना है।

क्यों चले आते हो मेरी तनहाई में तुम,
और कौन सा दर्द अब देकर जाना है।

चले जाना था तुझे तो सुबह होते ही,
रुकने का क्यों अब ये नया बहाना है।

थोड़ी देर और रुक जा तू तो ऐ खिजां,
बहारों ने तो बस बहाना ही बनाना है।

रहने दे तू ये वायदे बस रात भर के,
सुबह तलक इन्हें टूट ही तो जाना है।

सो जाने दे मुझे इस भरोसे पे आवारा,
उस जहां में तो तुझे मिल ही जाना है।

अजय "आवारा"

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