कड़वा सच बनाम नकारात्मकता

*कड़वा सच बनाम नकारात्मकता*
लोग कहते हैं सकारात्मक सोचो ....
सच लिखा तो नकारात्मक कहने लगे ..!!
ना जाने कैसी सोच में ...
भारतवासी रहने लगे...!!

मारी जाती हैं बेटियाँ कोंख में 
बच जाएँ तो 
कचड़े के डिब्बे में 
लहूलुहान अधमरी सी ..
पाई जातीं हैं...!!!
और फिर भी बच जाएं ...
तो कुछ मनचलों की ....
हबस का शिकार बनकर  जान गँवातीं हैं !!!
या फिर तेजाब छिड़क कर कुरूप बना दी जातीं हैं...।।
फिर भी बच जाएँ ...
तो दहेज की भेंट चढ़ा दी जातीँ हैं...
अब कैसे कह दें बेटिंयाँ .. भारत में .....
संरक्षण का सुख पातीं हैं...!!
कैसे करें इनको अनदेखा..
केवल किरण बेदी ,कल्पना चावला , बछेंद्री पाल को देखकर खुश होते रहें..!!
क्यों ???
प्रियंका रेड्डी, निर्भया को..
देखकर भी अनदेखा करें!!!!
कुरूप हो रहे समाज की
सच्ची तस्वीर क्यों ना पेश करें...!!!
बुरा लगे या भला लगे 
सच को सच तो कहने दो ..!!
गर लगते हैं नकारात्मक 
तो अब नकारात्मक ही हमको लगने दो .!!
सकारात्मकता की अंधी दौड़ में!!!!
हमको पीछे ही रहने दो!!
हमको पीछे ही रहने दो!!
सच को छुपाने 
या आँखों से ओझल 
कर देने को 
सकारात्मकता नहीं कहते..
भीरू हो रहे समाज को 
हम दबंग नहीं कह सकते.!!
सच का सामना करो और 
बदलो भद्दी तस्वीरों को ....!!
भद्देपन की जड़ें काटकर...
शिष्ट करो तस्वीरों को ...!
केवल सकारात्मकता का भोंपू बजा कर.... 
छुपने ना दो ...
सच की तस्वीर को...
बंद करो घोटालों को ...
शोषण अत्याचारों को...
बुराई की जड़े तो काटो..
पनपने दो ...
नेकी भरे ईमान को.....
असलियत में सकारात्मक बनो 
और बदलो पूरे हिंदुस्तान को ....!!
"मुस्कान" के शब्द भेदी बाणों को 
चुभ जाने दो झूठे सीनों में..
सच को सामने लाने दो ...
मदद करो ईमान को जिंदा रखने में....!!
केवल अच्छा सोचो 
कहने भर से
बुराई नहीं मिटने वाली ...
अगुआ बनकर मिसाल कायम करो .. 
बात करो कुछ करने वाली ।
सच कलम को मेरी लिखने दो 
सच का ना बहिष्कार करो ..!!
सकारात्मकता क्या है?? पहले समझो ....
और सोच समझकर बात करो...!!
सकारात्मकता फैलाने के लिए बुराई पर प्रहार जरूरी है....!!
वही करती है आलोचक की कलम तो आपत्ति क्यों होती है....!!
कायरता पूर्ण बयानों को 
सकारात्मकता का नाम ना दो
दबंग बनकर सच का सामना करो...!!
सकारात्मक ही है हर वो कलम ....
जो सच को हू-ब-हू 
लिख देती है...!!
समाज की सच्ची तस्वीर दिखाकर...
सचेत समाज को करती है.!!
समझो ऐ भारत के लोगो
नकारात्मकता का ठप्पा लगाकर...
सच का अस्तित्व ना मिटने दो....!!
सच का अस्तित्व ना मिटने दो.....!!
लेखिका प्रतिभा द्विवेदी उर्फ "मुस्कान"©
सागर मध्यप्रदेश ( 12 जून 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏

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