थामा है दामन तो साथ निभाएंगे,
ऐसे वैसौं को हम सबक सिखाएंगे,
संस्कार हममें कूट कूट कर भरे हैं,
हमपर उठने वाली उंगली को तोड़कर दिखाएंगे,
होना है तो हो जाओ नाराज तुम,
अभिव्यक्ति की आज़ादी है,
तुम हो सकते हो,
मगर अबकी बार हम नहीं मनाएंगे,
किए कराये पर ता ता थैया,
हम क्यों सहें मेरे बिगड़ैले भैया,
सोमपान के नशे में चूर,
हो जाते हो तुम मगरूर,
ऐसा कब तक चलेगा भैया,
अपना नमक खाकर कितना सिखाएंगे,
कूपमंडुक बरसात भी आती है,
बिजली के खंभे देख श्वान की बारात भी आती है,
मूड़मति तुम क्या जानो,
अब जमीर ही सबक सिखाएंगे,
वक्त की खातिर तुझे याद नहीं दिलाएंगे,
उम्मीद दिखाना, दिए बुझाना, ये सब तेरे ही तो काम आएंगे,
मगरूर, उन्मत्त, अधीर, चाटुकारों,
अब तो हम नया सवेरा लाएंगे,
थामा है दामन तो यकीनन साथ निभाएंगे।
Badlavmanch
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