बदलाव मंच द्वारा आयोजित काव्य मिश्रित भाषण प्रस्तुति

स्वतंत्रता दिवस
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मिली आजादी भारत को,
था रचा गया संविधान यहां,
स्वतंत्र हुआ था भारत अपना,
राष्ट्र का नव निर्माण हुआ,
हूंकार भरे जब वीरों नें,
दुश्मनों को था नस्ताबुत किया,
खदेड़ा था अताताइयों को,
तिरंगें का था सम्मान किया,
ऐ मातृभूमि है तुझे समर्पण ,
लाज बचाना वीरों को,
तेरी रक्षा करते हरपल,
घात लगाए दुश्मनों को,
संसद से सरहद तक,
चौकस रहना पड़ता है,
देश के गद्दारों को,
सबक सीखाना पड़ता है,
सम्मान हो यहां नारी का,
बालाओं की अस्मिता सुरक्षित हो,
दंश झेल रहे युवाओं का,
सपना भी साकार हो,
रोजगार की श्रेणी में ,
सबों का अधिकार समान हो,
धरा ने धानी चुनर ओढ़ ली,
सौंदर्य प्रकृति का प्रतिमान हो,
सुख शांति और अमन का,
परिपूर्ण यह स्वराज्य हो।
कल्पना झा
बोकारो, झारखंड

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