पुरखा के जमीन(मैथिली)

बदलाव मंच

मैथली स्वरचित रचना।

पुरखा के जमीन

9/8/2020

अपन हाथ पैर चला क खाइयां रे बौआ।
पुरखा के जमीन नै बेचियन रै बौआ।।

नही हेतौ फेर स कीनल ई 
स्वर्ग स सुंदर कलम व बाड़ी।
बेचभी त बिक जेतौ मुदा चेल 
जेतौ ई अनमोल घरबाड़ी।।
भटकब्या दिल्ली मुम्बई 
मुदा कत मिलतौ ई गाँव जवार रै बौआ।।

कहबौ त कहबि की भैया कहैया।
मुदा जा क देखी जे बेचलक 
गाँव के जमीन से केना रहै या।
ई नै केवल ईट पत्थर के मकान 
ई त छियै पुरखक आत्म सम्मान रे बौआ।।

गाम धाम त होय छै नशीब में मुश्किल स।
 मुसीबत दूर भ जेतौ प्रयास करी त दिल स।।
अलग ही होय छै गाम के शान रे बौआ।।

जा क देखी त की हाल छै 
जे गाम के जमीन बेचलक।
छूटै स नै छुटतौ कलंक माथा
 के मुदा किछु पश्चताप केलक।।
बन पड़तौ सुप के भट्टा इम्हर 
स उमहर पूरा जहान रै बौआ।
मुदा नै मिलतौ दुबारा ई
 मिथिला धाम रै बौआ।।

©प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार

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