मंच को नमन
विषय आनेवाला पल
कोई नहीं जानता कैसा होगा आनेवाला पल
हम सबको प्रश्न आज का आज ही करना होगा हल
मत व्यर्थ में अपना समय गवांना बातों बातों में तुम
माणिक सच दुनियां का ना हुआ आज तक ना होगा कल
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मैं घोषणा करता हूं कि यह मुक्तक मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक)कोंच
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