प्रसिद्व कवयित्री जयंती सेन जी द्वारा 'फलसफा...' विषय पर रचना

फलसफा......

जाने हर दर्द को साहिल पर
 उतरना क्यों‌ होता है ,
रात की स्याही में महकी फिजा को, जलना जरूर होता है 
कभी खुद भी उतर कर देखो तो,
मालूम हो कब कश्ती ‌को मझधार में संभल कर डुबोना होताहै।
हम बहते हुए लहरों पर दूर तक,
निकल आए थे
उसकी आवाज आई तो पलट कर ,
देख लिया
अब तैर कर किनारे भी क्या जाइएगा 
जहां पहुंचकर जज्बातों को 
कुचलना होता है।।

दिल में ठान ली थी
 पहुंच कर ही दम लेंगे
राहों पर चाहे कितनी ही दुश्वारियां हो
कुछ कदम रह गए थे मंजिल तक
पहुंचने के लिए
किसी ने आवाज दी ' कहां जाते हो'
अभी तो सफर का आग़ाज़ हुआ है
जिंदगी का फलसफा तुम्हें मालूम है
मंजिल से पहले हर राही को
गर्दिश में भटकना होता  है।।

जयंती सेन नई दिल्ली
9873090349.

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