सुप्रसिद्ध कवयित्री सीमा गर्ग मंजरी जी द्वारा रचित कविता 'मेरे गणेश'

मेरे गणेश ~ 

घर आँगन सजाया है आज 
सजे मन्दिर औ घर,घर द्वार 
रही चंदन की चौकी साज 
पधारो मेरे गणपति जी 

दरबार की है छवि न्यारी 
विराजै संग में भोले भण्डारी 
बाल गणेश आये अवतारी
 पधारो मेरे गणपति जी 

पार्वतीनंदन,शिवशंकर के लाला 
रेशम की डोरी चन्दन का पलना 
तुम्हें झूला झूलावै आज 
पधारो मेरे गणपति जी  

हे सिद्धिविनायक हे गजवदन 
हे लम्बोदर हे विघ्नविनाशन 
सँवारों सबके काज 
पधारो मेरे गणपति जी 

रिद्धि सिद्धि संग हैं तुम्हारे 
शुभ और लाभ हैं प्यारे दुलारे 
तुम भरियो भण्डारे आज 
पधारो मेरे गणपति जी 

मिष्ठान्न बताशा,फलऔर मेवा 
मोदक प्रिय हो मंगलदाता 
तुम्हें भोग लगायो आज 
पधारो मेरे गणपति जी 

संकटमोचक कष्टों को हरना 
मूषक वाहन शीघ्र ही सुनना 
तुम रखियो हमारी लाज
पधारो मेरे गणपति जी

इत्र फुलेल की हो रही बरसा 
झूमे नाचे भक्तों का मन हर्षा 
महकें फूलों से सजा श्रृंगार
तुम करियो कृपा आज 
पधारो मेरे गणपति जी 

✍ सीमा गर्ग मंजरी 
मेरी स्वरचित रचना ©
मेरठ

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