नारी है नारायणी

🌾दोहे 🌾
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          नारी  है  नारायणी
              भाग - 03
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दो कुलों कीऔरत ही रखती मान -सम्मान।
नारी है नारायणी , पढ़ लिख हो गुणवान।।
नारी जब पढ़ लिखकर ,हो जाती हुशियार।
जग सारा सुख से सिंचे ,अपना घर -परिवार।।

नारी देती सरस सुख ,पाय शिक्षा भरपुर।
शिक्षा से सम्पन्न करो ,नारी जग की नूर।।
शिक्षा ज्ञानका स्त्रोत है ,समयकी यह पुकार।
नारी गृहलक्ष्मी सदा ,शिक्षा बिना लाचार।।

नारीबिना विकास कहाँ शिक्षा बिनाउजियार।
शिक्षा हेतु नार सब , तन-मन से   तइयार ।।
बहु -बेटी शिक्षित करे ,यह सबका अधिकार।
कदम -कदम पर अन्यथा ,दुख पाये संसार।।

नाम यश पुण्य किर्ती की ,सच नारी सोपान।
नारी शिक्षा का चहुँदिश ,छेडे़ सब अभियान।।
नारी सुशिक्षा सर्वोपरि ,रखे सब कोई ध्यान।
नारी बिना जीवन नरक ,घर होता शमशान।।

नारी उपर नजर  नियत,रखता है जो नेक।
अवनी पर मानव वही ,आँख उठा के देख।।
नारी शिक्षा के बल पर ,हो घर देश  आबाद ।
नारी अगर नीचे गिरे ,सब  कुछ हो बरबाद।।

पतीधर्म सर्वोपरि है ,जग बिच नार श्रृंगार।
बने लोक-परलोक ,सुचि झुक जाते करतार।।
सुचि सेवा सदभावना , चाहो जो आराम।
पढे़ लिखे नारी सभी , सच"कवि बाबूराम"।।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज ( बिहार )
मो0नं0 - 9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾
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                     1
पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार। 
परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।। 
होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,
सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।
कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण, 
यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।
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                      2
गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल। 
इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।। 
जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना, 
निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना। 
कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा, 
करती भव से पार, सदा ही सबको  गंगा। 
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                       3
जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार। 
है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।। 
सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में, 
वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में। 
कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग, 
निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग। 

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032
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मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित। 
          हरि स्मरण। 
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