🌷पुस्तकालय से ल🌷
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होता पुस्तकालय पथ प्रदर्शक,
हर लेता मन के गहन तिमिर।
अपनी सबसे सच्ची प्रीत है पुस्तक,
करे जीवन का अज्ञान-अंधेरा दूर।
हृदयतल को करती आलोकित,
बहाये ज्ञान की निर्मल एक धार।
जीवन-यात्रा की जीत है निश्चित,
पुस्तकालय ज्ञान का एक सागर।
ज्ञान-अर्जन से होता पथ-प्रशस्त,
करता पद-प्रतिष्ठा की ओर अग्रसर।
बनाता नित नए विचारों को जीवंत,
पहुँचाता अंधकार से प्रकाश की ओर।
करें अज्ञान अंधविश्वास के बंधनों से मुक्त
खोले मानव-जीवन का ज्ञान-चक्षु निरन्तर।
जगाता जीवन-जीने को विचार उन्मुक्त,
हृदय में निर्मल ज्ञान-सागर लहराकर।
करें जीवन सरल ज्ञान- दीप कर प्रज्वलित,
सभ्यता का करे विकास कर दूर मन- बिकार।
करता मान-सम्मान से जीने के ज्ञान विकसित,
करे पथ प्रदर्शित पशुता से मानवता की ओर।
पुस्तकालय से होती जीवन की दिशा प्रकाशित,
पुस्तक करता निर्मित निरंतर नया संसार।
होता हर जीवन-ज्ञान पुस्तकालय में संग्रहित ,
ज्ञानार्जन ही मानव-जीवन का आधार।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
🥀समाप्त,🥀 लेखिका-शशिलता पाण्डेय
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