'बदलाव मंच' कवि व समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'नारी का सम्मान करो' विषय पर सुंदर गीत


मंच को नमन

शीर्षक-नारी का सम्मान करो

विधा - गीत

तुम नारी  का  सम्मान  करो
मत नारी  का  अपमान करो

पदमा  दुर्गा  भी  नारी  थी
लक्ष्मी सारंधा भी नारी थी
यम से भी ना हारी थी जो
वो  सावित्री  भी  नारी थी

तुम केवल इतना ध्यान करो
तुम  नारी  का  सम्मान करो

है सिंधु लघु नारी के सम्मुख
पल  में हर  लेती  सारे  दुख
आलौकिक  रूप  है नारी के
चाहती  है वह सब का सुख

हो  तुम नारी से भान करो
तुम नारी का सम्मान करो

कोमल  फ़ूल  सी है  नारी
कठोर त्रिशूल  सी है नारी
नारी ममता  की सागर है
निर्मल जल जैसी है नारी

तुम नारी का गुणगान करो
तुम नारी का सम्मान करो

नव इतिहास रचे नारी  ने
प्रेम दीप जलाए नारी  ने
नारी  नवयुग  निर्माता है
प्राण दान दिए हैं नारी ने

माणिक नारी का मान करो
तुम नारी  का सम्मान करो
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक) कोंच

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