लाजवाब कविता "दीपक"#कवयित्री सोनी खातून#प बंगाल

दीपक

जिसकी रोशनी से संपूर्ण जग जगमगाता है,
 जिसके बिना कोई काम नहीं हो पाता है,
जो अंधेरा को करता है  दूर,
 वह हे दीपक का नूर।

 चाहे घर ,मंदिर या हो संपूर्ण  संसार,
 बिना इसके ना रह सकता
 कोई भी इंसान।

 चाहे दीपावली ,छठ पूजा जन्माष्टमी आदि
 सभी मैं आता यह काम,
 बिना इसके ना हो सकता कोई भी काम।

 है इसके अनेकों नाम
 पर करता यह एक ही काम,
 संपूर्ण घर को रोशन करना  है
यह दीपक का काम ।

जैसे दीपक की रोशनी से घर का अंधेरा हो जाता है दूर,
वैसे ही निरंतर प्रयास करते रहने से जीवन का अंधेरा  भी हो जाएगा दूर।

चाहे देखने में लगे यह छोटा,
लेकिन इसका अर्थ है बहुत बड़ा।
 समझ गया अगर इसका महत्व
  तो ना  हो सकेगा कभी अपमान,
 संपूर्ण घर को रोशन करना
 है यह दीपक का काम।

 यहां वहां परंपरा है
 जो वर्षों से चली आ रही है,
 जिसके जलने से माना जाता है    शुभ,
 और ना जलने से माना जाता है अशुभ।

 सोनी खातून
पानागढ़( पश्चिम बंगाल)

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