नया जमाना

🌾नया जमाना 🌾
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जगत ज्योति परवाना देख ।
आया  नया  जमाना   देख ।।
बूढे़  हो  गये माँ - बाप  को,
लड़के   देते    ताना    देख ।
नित   पति   परमेश्वर    को ,
डांट   रही   जनाना    देख ।
आतंकवादी भारत  को  ही ,
बना  लिये   निशाना   देख ।
नेताओं के  सुख  स्वार्थ का ,
कैसा   ताना   -बाना    देख ।
घूस  रिश्वत  चमचागिरी  में ,
मानव   हुआ  दिवाना  देख।
रिश्ते    - नाते       भाईचारा ,
आता  नही   निभाना   देख ।
सच्चाई  पर  जो  चलता  है ,
मिलता नही उसे खाना देख।
सत्य  धर्म सत्कर्म सुख सब ,
कैसे   हुआ   रवाना     देख।
किसकी सुनता कौन कहाँ पै ,
सब  गाते  निज  गाना  देख।
बर्बादी  रोक "बाबूराम कवि "
आर्यावर्त    पुराना      देख ।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज ( बिहार )
मो०नं०- ९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾
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                     1
पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार। 
परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।। 
होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,
सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।
कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण, 
यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।
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                      2
गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल। 
इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।। 
जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना, 
निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना। 
कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा, 
करती भव से पार, सदा ही सबको  गंगा। 
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                       3
जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार। 
है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।। 
सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में, 
वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में। 
कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग, 
निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग। 

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032
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मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित। 
          हरि स्मरण। 
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