योगीराज कृष्ण




दिनांक--11-08-2020
दिन- मंगलवार

शीर्षक- कृष्ण योगिराज
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
स्वरचित रचना
* * * * * * * * * * * * *
वह आर्य संस्कृति के रक्षक,
अधर्म का नाश कराया जी।
देकर गीता  में  कर्म  ज्ञान,
कृष्ण योगीराज कहलाए जी।

नहीं चुराये थे वस्त्र माखन,
द्रौपदी का चीर  बचाया जी।
गोप गायों  की  रक्षा करने,
गोवर्धन में शरण दिलाई जी।

मल्ल युद्ध में  हरा  दुष्टों को,
मथुरा  में  धाक  जमाई जी।
दुष्ट  कंस  को  खत्म किया,
माँ-पिता को मुक्त कराया जी।

संदीपनी ऋषि के आश्रम में,
वेदों के  ज्ञान  को  पाया जी।
गरीब सुदामा की मित्रता को,
राजा बनकर भी निभाया जी।

राधाजी  रिश्ते में मामी थी,
ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया जी।
वाममार्गी  पापी  बोबदेव ने,
अश्लील  कथाएं  बनाई जी।

मोह पाश में बंधे अर्जुन को,
धर्म  का  ज्ञान  कराया  जी।
कर्तव्य समझ कर कर्म करो,
निष्काम कर्म समझाया जी।

कृष्ण चरित्र में खरा है सोना,
क्यों बदनाम उन्हें करते हो जी।
कह रमेश कुछ समय निकालो,
शुद्ध कृष्णायन को पढलो जी।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी,
रावतभाटा, चितौड़गढ़,
राजस्थान।
मो.9413356728

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ