🌹सच्चा प्रेम🌹
रोनेवाले तो हमेशा रोयेंगे,
बस कोई बहाना चाहिए।
इश्क़ में रोये या,नाकामियों का रोना,
बस उन्हें कोई फ़साना चाहिए।
खुशी या गम के बहाने अपने,
समय का पल बिताना चाहिए।
सच्चा प्रेम या इश्क़ हो तो,
पर्वतों में राहे बनाना चाहिए।
दशरथ मांझी की तरह जज्बे के साथ,
हौसला और ताकत जगाना चाहिए।
प्रेम के स्वरूप तो अनेक जो भी हो,
उसे अपनी ताकत बनाना चाहिए।
जीना आसान है अपने लिए तो,
किसी के लिए जीकर दिखाना चाहिए।
दुनिया मे आये हो तो किस लिए?
ये तो सबको बताना ही चाहिए।
प्रेम तो जीने का देता हौसला ,
अपना फ़र्ज़ तो पहले निभाना चाहिये।
सच्चा इश्क तो पशु को भी बनाता मानव,
प्रेम को देना कुछ उजाला चाहिए ।
प्रेम या इश्क मांगता एक कठिन समर्पण,
कर सब अर्पण कठिनाइयां मिटाना चाहिए।
सच्चा एक इश्क रुलाता नही किसी को,
बस जीने का कोई ठिकाना चाहिए।
जिन्दगी के रंगमंच पर अपना किरदार,
लगन और जिम्मेदारी से निभाना चाहिए।
साथ-साथ मिलकर हर मुसीबतों को,
खुद हँसकर उसे रुलाना चाहिए।
किसी को किसी के लिए फुरसत नही रोने को,
जमाने में आगे बढ़कर दिखाना चाहिए।
अपना वजूद अपनी जिंदगी को,
एक अपनी पहचान दिलाना चाहिए।
🌷समाप्त🌷 स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
रचनाकारा:-शशिलता पाण्डेय
2 टिप्पणियाँ
excellent
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