🌹🌿मनमोहक प्रकृति ,🌿🌹
प्रकृति की मनमोहक छटा का,
दिखता अद्भुत दृश्य पहाड़ो में।
प्रकृति का हर रूप सलोना,
अप्रतिम सौंदर्य नजारों में।
हिमगिरि के मस्तक से उतर,
इठलाती गंगा बहती लहरों में।
छेड़ती मधुर सरगम कोई,
उछल-उछल टकरा पाषाणों से ।
जैसे मधुर स्वर निकलता हो,
बजते वीणा के तारों से।
वावरे निर्झर भी करते अठखेलियाँ,
गिरते मगन होकर पहाड़ो से।
हिमाच्छादित पर्वत वो सुरम्य घाटियां,
कर धारण पट जैसे चांदी के तारो से।
चाँद भी आता धरा को घूमकर,
धरा भी गले मिलती बादलों से।
दिनकर भी सुसज्जित स्वर्णिम,
रंगों से पुरित सिन्दूरी आभा से।
दूर क्षितिज में मिलते हो,
धरा-गगन आलिंगन में जैसे।
धरा-गगन के मधुर मिलन सा,
वो दिखता दृश्य पहाड़ो से।
बड़ा अनोखा दृश्य विहंगम ,
जैसे हो शोख अदा बहारों में।
धरती,गगन नदी चाँद,सितारे,
अनुपम प्रकृति के उपहार है सारे।
ये प्राकृतिक मिले प्रदाता से,
मिलती एक सुखद सी अनुभूति।
जहाँ शीतल उन्मुक्त बयारों में,
सबसे अनमोल प्रकृतिक दौलत।
बेमोल मिलती ऊँचे उन पहाड़ो में,
मोर,पपीहा होकर आमोदित,
सुशोभित करते गीत-नृत्य से,
दिखती प्रकृति की अनुपम छवि
जहाँ खिले हो पुष्प कतारों में।
एक अद्वितीय रूप प्रकृति का,
दिखता सुन्दर से बृक्ष चिनारों में।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री-:शशिलता पाण्डेय
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