कवयित्री सीमा तोमर जी द्वारा शीर्षक -'इंतज़ार क्यों करते हो' विषय पर कविता

नमन मंचन 
विषय -इंतज़ार क्यों करते हो 

चलो उठकर बढ़ाओ कदम उगते सूरज का इंतज़ार क्यों करते हो 

कस लो कमर और लगा दो जान की बाज़ी
हार का इंतज़ार क्यों करते हो 

दिखा दो पतझड़ों को भी हौसले जीत के 
उठो बहार का इंतज़ार क्यों करते हो 

जीना है तो औरो के लिए जीओ,खुद के लिए जिंदगी से इतना प्यार क्यों करते हो 

जब जिंदगी है तो संघर्ष भी होगा, सोचकर संघर्ष जिंदगी को इतना दुश्वार क्यू करते हो 

उठो बढ़ाओ कदम उगते सूरज का इंतज़ार क्यू करते हो 

ढल भी जायेगा सूरज तो जिंदगी ढलेगी नही अपने लक्ष्य को ढूढ़ने के लिए 
किरण का इंतज़ार क्यों करते हो 

सांस लो खुलकर, और तोड़ दो बंदिशे 
इस तरह बंदिशों में रहकर खुद पर अत्याचार क्यू करते हो 

चलो उठकर बढ़ाओ कदम उगते सूरज का इंतज़ार क्यू करते हो 

स्वरचित एवं मौलिक 

सीमा तोमर 
गाज़ियाबाद

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