'बदलाव मंच' राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अध्यक्षा महिला प्रकोष्ठ कवयित्री रूपा व्यास द्वारा 'नारी' विषय पर कविता

*नमन 'बदलाव मंच'*
*शीर्षक-नारी*(कविता)

हाँ,मैं एक नारी हूंँ।
रामायण की आधार सीता मैं हूँ।
महाभारत करवाने वाली द्रौपदी मैं हूँ।
मैं ही काली-सा क्रोध स्वरूपा व शकुंतला-सी शीतलता हूंँ।
मैं ही महिषासुर वध करने वाली देवी नारी हूंँ।
मेनका-उर्वशी जैसी सुंदर नारी मैं ही हूंँ।
मैं ही यम से अपने पति को वापस लाने वाली नारी हूंँ।
लक्ष्मी बाई जैसी वीर नारी भी मैं ही हूंँ।
द्रौपदी-सी कोमल नारी मैं ही तो हूंँ।
मैं दीन-दुखियों की सेवा करती कहीं मदर टेरेसा हूंँ।
मकान को घर बनाती ऐसी नारी-संसार मैं ही हूंँ।
मैं ही सृष्टि को चलायमान,धरती-सी धैर्यवान मैं ही हूंँ।
मैं ही अंतरिक्ष में सर्वप्रथम पहूंंचने वाली सुनीता व कल्पना हूंँ।
तो कभी समाज-सेविका,शिक्षिका, कवयित्री व आयरन लेडी मैं ही तो हूंँ।
  तो सड़क पर चिल्लाती, मदद के लिए    रोती पुकारती।
वह नारी मैं ही हूंँ।
हे!मानव जाति अब तो सुधर जा,
उस अबला नारी के शरीर की चोट तो भर जाएगी ।
लेकिन मन-पीड़ा कभी ना भर पाएगी।
कल तुझे ऐ!पुरुष जब इस बात का अहसास हो ।
तब ऐसा ना हो कि ऐसी दुर्घटना तेरी बेटी या बहन के साथ हो ।

धन्यवाद।

-रूपा व्यास
*अध्यक्षा,राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच' महिला प्रकोष्ठ*
-'परमाणु नगरी' रावतभाटा,
चित्तौड़गढ़,राजस्थान।
*यह प्रमाणित किया जाता है कि यह मेरी मौलिक व स्वरचित रचना है।*
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