कवयित्री प्रियंका साव जी द्वारा रचित 'जिंदगी के खेल' विषय पर सुंदर काव्य सृजन

*जिंदगी के खेल*
जिंदगी खेल खेल रही है 
चलो, हम भी उसका हिस्सा बने,
चाहे जैसी भी हो,
हम उसका यादगार किस्सा बने।

ना पीछे मुड़ना है 
ना आगे रुकना है,
बस जिंदगी के राहों में गिरना है, 
और गिरकर सँभलना है।
आगे संघर्षों ले लड़ना है,
फिर खुद मे ही सँवरना है ।

ना हमको थकना है
ना हमको झुकना है,
यूहीं जीवन के पथ पर 
समय के साथ चलना है।

राहें हैं कांटे भरी,
उनपर कष्ट रुपी,
कंकर है पड़ी ।
उनको ठोकर मार कर,
आगे कदम बढ़ाना है।

ना हारने की आह है,
ना जीतने की चाह है,
जिंदगी जिए कैसे?
वैसी कला सिखाना है।

जिंदगी के दो ही पहलू है,
या तो हारना या तो जीतना,
पर,इन दोनो के बीच जो है,
वो कला है हमको सिखना।

हमें जिंदगी कुछ न कुछ देती ही है।
जीतने पर जीत देती है,
और हारने पर सीख देती है।


आओ एक संकल्प ले,
जीवन को सुखद बनाने में।
चाहे, सामने कोई भी मुश्किल आ जाए,
उसको हँसकर हराने में।


स्वरचित कविता 
प्रियंका साव
पूर्व बर्धमान,पश्चिम बंगाल

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