कवि चंद्र प्रकाश गुप्त 'चंद्र' जी द्वारा "शौर्य पूजा" विषय पर रचना



🌞 शौर्य पूजा 🌞
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       - नया भारत हो रहा अरुण प्रखर है -

भारत अरुण प्रखर हो रहा अंधकार का पयोद चीर कर

कर रहा अरि अरमानों को क्षार क्षार बाधाओं का गगन पार कर

दशों दिशाओं में पग प्रभंजन दिख रहा है हटने लगा कुहासा

बुझी राख की ढेरी से उठने लगा पावक प्रचंड का धुआं सा

अब न निशक्ति की पीड़ा है जग शौर्य गान कर रहा है

बात भारत की अब सारा जग ज़हान सुन रहा है

अब स्वदेश से प्यार सृजन  का वैभव बड़ रहा है

अब जवानियों में रवानियों का श्रृंगार बड़ रहा है

सब समझ रहे हैं अब कश्ती कहां जा रही है

मंझधार धारा भंवर सब पार कर जा रही है

गौरव ऐश्वर्य बड़ रहा है ऊंचा हो रहा सितारा हमारा

प्रकाश पुंज बड़ रहा है चीर कर घटाटोप सारा हमारा

अब ओज तेज भारत का नहीं रोके किसी के रुक रहा है

बल पुंज शौर्य से दुश्मनों का सिर झुक रहा है

अतीत हमारा विशाल था विराट अब वर्तमान हो रहा है

जन जन हो रहा गर्वित है गिरोह जयचंद रो रहा है

भारत की पावन पुण्य धरा का श्रृंगार अभिनव अनुपम होने जा रहा है

जन मन में उल्लास गौरव गरिमा विकास का अभयदान होने जा रहा है

दशों दिशाओं में पग प्रभंजन दिख रहा है हटने लगा कुहासा

बुझी राख की ढेरी से उठने लगा पावक प्रचंड का धुआं सा

भारत अब प्रखर अरुण हो रहा है अंधकार का पयोद चीर कर

कर रहा अरि अरमानों को क्षार क्षार बाधाओं का गगन पार कर

          🙏  वन्दे मातरम्  🙏

           चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र"
           अहमदाबाद , गुजरात
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मैं चंन्द्र प्रकाश गुप्त "चंन्द्र"घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित एवं मौलिक है
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