'शब्द ही शक्ति है' शीर्षक पर लेखिका प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान जी द्वारा रचना


*शब्द ही शक्ति है*
शब्द ही शक्ति है ..
मारक भी तारक भी ...!!
भावनाओं की अभिव्यक्ति है..
है दर्द और दर्द निवारक भी ....!!

एक अनोखी युक्ति है ....
संधि और संहारक की ...!!
इसकी अजब ही महिमा है ..
देती घाव भी लगाव भी ...!!

ये तुनीर से निकला बाण हैं ...
निशाना चूके तो हर लें प्राण भी !!
और निशाना सध जाये तो ..
देती जीवनदान भी

अगर घुला हो इसमें प्रेम तो...
मिले पूर्ण समर्थन और समर्पण भी !!!!
अगर घुला हो द्वेश जो इसमें ...
तो दे विध्वंश को खुला निमंत्रण भी !!!!

ये ईश्वरीय आशीष है ,,,
वाक् क्षमता रखने वालों के लिए .
साधुवाद मिलाकर बोलो तो
करवा दे परमाणु बम निस्तेज भी !।।

तलवार से वार पैना है इसका ।।।
पवन से तेज है वेग भी ..!!
डिजिटल मीडिया के आने से ..
ट्विटर पर अद्भुत इसका क्रेज भी

विद्वत्ता से इसका उपयोग करो तो
जीत लो प्राणिमात्र के मन का प्रदेश भी ...
बिन हथियार के दुनियाँ वश में करले ....
जिसको आता विधिवत् उपयोग जी ....!!!

आतंक भाव को धूमिल कर दे
शिव रौद्र रूप भी शीतल कर दे
शब्दशक्ति में सद्भाव मिले तो
अमन का है संदेश भी ।।।

नतमस्तक दुनियाँ को कर दे
प्रेम भाव मनुज  हृदय में भर दे ..
परोपकार भाव इसमें हो मिला तो
ईश्वर तुल्य मनुज को कर दे।।

नाहक दुनियाँ हथियार इजाद करती ।।
परमाणु बम निर्माण है करती
बिना लड़े ही दुनियाँ वश में हो जाये ...
वशीकरण का काम शब्दशक्ति भी करती .!!!

सृजन का ये वरदान है ..
अमन का भी ऐलान है...
शब्द शब्द में गूढ़ अर्थ है ।।
समझने वाला ही विद्वान है ।।
समझने वाला ही विद्वान है ।।

लेखिका प्रतिभा द्विवेदी "मुस्कान"©
सागर मध्यप्रदेश ( 19 अगस्त 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णतः स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार सुरक्षित हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद🙏


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