कवयित्री नीलम डिमरी जी द्वारा 'लाल (रंग)' विषय पर सुंदर स्वतंत्र रचना

नमन वीणा वादिनी
दिनांक--28/08/2020
विषय--- लाल ( रंग)
विधा --स्वतंत्र

भा गया अब मुझे लाल रंग,
यह सोच कर चली मैं तेरे संग।
तुम्हारी प्रेम के रंग में रंगी पिया,
कैसे छुड़ाऊं मैं यह लाल रंग।

पहली मुलाकात का वह लाल गुलाब,
उस पर लिपटी थी वह किताब,
उसके पेजों का लाल रंग पिया,
अभी तक बना मेरा हिसाब।

शादी का वह लाल जोड़ा,
लाल गुलाल जो तुमने छोड़ा,
बुरी बलायें मिट जाएं इससे,
बंधन की जंजीरों को तोड़ा।

पकड़ पकड़ के तुमने फेंका,
होली का वह लाल रंग,
शरमाई सकुचाई सी मैं,
पिचकारी ले चली तुम्हारे संग।।


     रचनाकार नीलम डिमरी
    चमोली उत्तराखंड

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