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⛳⛳⛳ _*कविता शेष*_ ⛳⛳⛳
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_आपकी वाणी के अमृत_
_शब्दों ने माखन मिश्री रस घोला है।_
_शब्द होत वे कनक समान_
_मन में सदा तुमने जहर घोला है।।_
_जैसे रावण की लंका में_
_विभीषण पर गाज गिरी थी।_
_प्रीति की श्रीराम ने शबरी सुग्रीव_
_केवट सम1 मधुर स्वर बोला है।।_
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_कृष्णा सेन्दल तेजस्वी_
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