कवि कृष्णा सेन्दल तेजस्वी जी द्वारा 'कविता शेष' विषय पर रचना

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⛳⛳⛳         _*कविता शेष*_          ⛳⛳⛳
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_आपकी वाणी के अमृत_ 

     _शब्दों ने माखन मिश्री रस घोला है।_

_शब्द होत वे कनक समान_

      _मन में सदा तुमने जहर घोला है।।_

_जैसे रावण की लंका में_

           _विभीषण पर  गाज गिरी थी।_

_प्रीति की श्रीराम ने शबरी सुग्रीव_ 

        _केवट सम1 मधुर स्वर बोला है।।_

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                    _कृष्णा सेन्दल तेजस्वी_

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