कवि रमेश चंद्र भाट जी द्वारा 'सार' विषय पर रचना

दिनांक--28-08-2020

शीर्षक- सार
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स्वरचित रचना
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सिर उपर रखना चाहो तो,
पाँव   धरा  पर  ही  रखना।
अमृत  की  वर्षा  चाहो  तो,
गरल गले में ही रखना।

धरा सिखाती धैर्यवान बन,
नींव  उम्मीदों  की  बनना।
आयेंगे सुख भी  जीवन  में,
थोड़ा दुख भी सह लेना।

बेबस और लाचार मिले तो,
हंसी ठिठोली मत करना।
करो मदद जो भी हो सकती,
करुणा भाव दिल में रखना।

शान्ति से जीना चाहो तो,
शक्ति संचित  कर रखना।
स्वप्न सुहाने देखा चाहो,
अमर  शहीदों  को  नमना।

रिश्तों से जीवन है महके,
आपस   में  मिलते  रहना।
भाई बंधु संग सखा की,
कुछ गलती तो सह लेना।

जन्म दाता को हे रमेश,
कभी दिल की ठेस नहीं देना।
सेवा करके तृप्त करो मन,
आशीर्वाद  सदा   लेना।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी,
रावतभाटा, चितौड़गढ़,
राजस्थान।
मो.9413356728

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