💐हम फिर कब मिलेंगें?💐
बेफिक्र हवायें, सुहाना सा मौसम,
खिलखिलाता ,हुआ वो प्यारा सा बचपन।
'उन्मुक्त हवाओं' सा, बहता वो बचपन,
हम फिर कब मिलेंगे?
इस जन्म में मिलेंगे, या जनम लेंगे दूजा।
जीवन के प्यारे वो सुहाने' से पल ,
लौटा दो 'भगवन'! हम करे तेरी पूजा ।
मस्त हवाओं ,सुहानी अदाओं,
मस्ती के बारिश से भींगा वो बचपन।
हम फिर कब मिलेंगे?
ना कोई गम था,ना थी कोई चिंता ।
कभी चिड़ियाँ और कभी तितली के पीछे,
कभी खट्टी बेरो के झाड़ी के नीचे ।
बता मेरे बचपन! हम फिर कब मिलेंगे ?
नदियों के जल सा लहराता वो बचपन ।
कभी बगिया में आमों के कच्चे टिकोड़े,
पत्थर के टुकड़ों से, मारे और तोड़े ।
बता मेरे बचपन! हम फिर कब मिलेंगे ?
बारिश की बूंदों सा, चमकता वो बचपन।
वो गुड़ियाँ की शादी में, ''नकली बराती'',
फिर वो उमंगे ,कभी नही आती ।
बता मेरे बचपन! हम फिर कब मिलेंगे?
पेड़ो पे चढ़ती ,गिलहरी पकड़ना ,
खेल ही खेल में, फिर से लड़ना-झगड़ना।
फिर से गले मिलकर, घूमता वो बचपन,
बरसता वो सावन, और ''कागज की कश्ती'',
जीवन मे आई नही, फिर वो मस्ती ।
झूमता हुआ वो ,बहारों का मौसम,
बता मेरे बचपन! हम फिर कब मिलेंगे?
ना कोई अपना था ,ना कोई था पराया ,
मेरा न्यारा बचपन बहुत याद आया ।
बिना पंख, के आसमानों में उड़ता सा बचपन।
रंग-बिरंगी कटी पतंगों के, पीछे दौड़ना
भेद-भाव भूलकर, खाना और खिलाना,
बता मेरे बचपन!हम फिर कब मिलेंगे ?
बिंदास हवाओं सा, चंचल सुहाना,
ना ही कोई झंझट, ना ही कोई फ़साना।
झूमती -गाती, बसंती हवाओं सा बचपन,
फिजाओं में ढूँढू हवाओं में ढूँढू।
यादों में बचपन उमर मेरी पचपन,
बता मेरे बचपन!हम फिर कब मिलेंगे?
स्वरचित एवम मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका :-शशिलता पाण्डेय
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