कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'जादुई शेर' विषय पर रचना

     😺जादुई शेर😺
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,एक जादुई शेर है ये जिंदगी,
    एक जज्बा है एक जोश जिन्दगी।
         कभी डरती नही हमेशा डराती है,
              पहाड़ो पर भी रास्ता बनाती है।
कभी काँटो पे चलाती है कभी,
  आग में भी कूद जाती है जिंदगी।
      कभी किसी को भीअपना शिकार बनाती,
          किसी कों कभी भी लेकर चली जाती है।
एक आग का दरिया है जिंदगी,
    कब किसे घेर ले मुसीबतों के जंगल में।
        हमेशा शेर सी दहाड़ती है जिंदगी।
              हम हमेशा जिन्दगी रूपी शेर से,
डरते और सतर्क रहा करते है।
     अपनी और अपनों की सुरक्षा में,
          हमेंशा हथियारों से लैस रहतें है।
              कभी छुपते है तो कभी डटकर,
जिन्दगी का मुकाबला करतें है।
     जीत जाते है जादुई शेर से लड़कर,
        जिन्दगी के जंग जीत आगे बढ़ जाते है।
            जिन्दगी का  जादुई शेर चुपके से आकर,
किसी को शिकार कर बना ले जाता है ।
      इसलिए हम अपनों के संग समूह में,
            मिलजुल जिन्दगी बिताया करतें है।
                हमेशा परोपकार के कटार से,
                   अपनो की सुरक्षा किया करतें है।
जिन्दगी के जादुई शेर से,
    मिलजुलकर,निडरता से लड़ा करतें है।
         कभी गम मनातें है हार जाने का
            कभी जिन्दगी की जीत की खुशियाँ मनाते है।
     
🎂समाप्त🎂

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