कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'बल्लेबाज' विषय पर रचना

(बल्लेबाज)
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जिन्दगी एक ,
क्रिकेट खेल जैसा।
क्रिकेट खेल का,
 मैदान कोई विस्तृत।
जिन्दगी के मैदान में,
 क्रिकेट के खेलने सा।
हर कोई चौका,छक्का ,
लगाता हो प्रतीत।
जिन्दगी के खेल के,
 मैदान का खिलाड़ी।
कोई सफल बैटमैन,
 और कोई गेंदबाज।
हर कोई एक दूसरे के,
 प्रतिद्वन्दी बने आज।
प्रतिबद्ध है एक दूसरे को,
खेल में पछाड़ने को।
अपना दमखम दिखाने,
हर टीम उतरी मैदान में।
मंजे हुए यहाँ सब,
 खिलाड़ी क्रिकेट के।
हर बार  चौका, छक्का,
 लगाने के फेर में।
जिन्दगी के क्रिकेट की,
 टीम का हर सदस्य आज।
यहाँ खेल में तमन्ना,
 हर किसी को जीत की।
हर कोई व्यग्र बनने को,
 बल्लेबाज या गेंदबाज ।
खेल हो क्रिकेट या,
 अन्य कोई खेल हो।
ये जिंदगी भी तो है,
 एक खेल का मैदान।
हर कोई है यहाँ जीतने की,
 चाह में व्यस्त।
हर किसी को सफलता की,
 हर क्षेत्र में जुनून।
इस दुनियां में क्रिकेट की,
हर ओर मजबूत एक टीम,
मैदान जिन्दगी क्रिकेट की,
 मुकाबला कठिन।
हर किसी के हार-जीत का,
 यहाँ फैसला अंतिम,
भले ही कोई सफल,
 गेंदबाज हो या बल्लेबाज।
 जिन्दगी के खेल का निर्णय,
 कल हो या आज।
पड़ेगा  यहाँ चौका,छक्का लगाना,
 पहन सफलता का ताज।

🙏समाप्त🙏

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