तुम भी ना....
क्या मुड़कर देखते हो तुम भी ना
झीले-कंकर फेकते हो तुम भी ना
लोग देख रहे समझो मेरी दुश्वारी
सरेआम आँख सेकते हो तुम भी ना
तुम्हारी नज़र से खींची जाती हूँ मैं
कैसे इज़हार उडेकते हो तुम भी ना
तुम्हारी आदतों से तुमपे प्यार आए
सलोने - सुभेगते^ हो तुम भी ना (नाजुक-सुन्दर )
मुझे बुलाओ तो इशारा किया करो
ऐसे क्यों हाथ हेकते^ हो तुम भी ना (हिलाना )
कड़कड़ाती ठंड में तुम धूप जैसे हो
"उड़ता"भले - नेकते^हो तुम भी ना. (सीधा )
स्वरचित मौलिक रचना
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर - 124103 (हरियाणा )
संपर्क +91-9466865227
udtasonu2003@gmail.com
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