कवयित्री- आ. अलका पाण्डेय जी द्वारा सुंदर रचना

मोक्ष - अलका पाण्डेय 

मात पिता से पाई है काया 
गुरु से  ज्ञान भंडारा है  पाया 
माँ ने दिया ममता का आँचल
गुरु ने गोविंद साक्षात कराया 

नित्य करे हम वंदन तेरा गुरुवर 
दिव्य ज्योत तुम से पाई गुरुवर 
सदमार्ग पर चलना सिखलाया 
आप ही है मेरे परमात्मा गुरुवर

गुरुवर का साथ मिल जाऐ 
भवसागर  हम पार हो जाऐ 
ज्ञान की ज्योत जलाये मन में 
मन मंदिर   मेरा रोशन हो जाऐ 

धन दौलत कुछ काम न आये 
पाप पुण्य कुछ समझ न आये 
गुरु बिन यह जीवन नर्क सामान 
आत्मा ,परमात्मा का भेद न पाये 

गुरु की वाणी से मिलता जीवन 
निखरता रहता प्रति पल जीवन 
आवागमन से  मोक्ष मिल जाता 
नित्य गुरुवर का करते सुमिरन 
अलका पाण्डेय

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