बदलाव मंच(राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय साप्ताहिक प्रतियोगिता दिवस)
दिनाँक-05-09-2020
दिन-शनिवार
विषय-"लाकडाउन में शिक्षकों की स्थिति"
शिक्षक समाज का पथप्रदर्शक है।
उनके श्री चरणों में मेरा नतमस्क है।
कोरोना महामारी के दौरान,लाकडाउन के चलते, शिक्षकों द्वारा देश और समाज के लिए मह्त्वपूर्ण भूमिका निभायी जा रही है। इस विषम परिस्थिति में जहाँ लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं वहीं शिक्षक अपने शिक्षकीय कार्यों का निर्वहन करते हुए, गैर-शिक्षकीय कार्यों का संपादन भी बड़े निष्ठापूर्वक कर रहें हैं।
जब दूसरे राज्यों से मजदूरों, सामान्य नागरिकों, विद्यार्थियों आदि को स्टेशनों से लाने,कोरेनटाइन सेंटर तक छोड़ने तथा उनके देख-रेख में ड्यूटी लगायी गयी थी,उनमें से कई शिक्षक गम्भीर बिमारी से ग्रसित थे, कईयों की उम्र 50 से अधिक हो गयी थी, फिर भी अपने जान जोखिम में डालकर बड़े निष्ठा से सरकार की सहायता किये। कई शिक्षक कोरोना से संक्रमित होकर अपने प्राँण भी गँवा बैठे तो कई शिक्षक मौत से जूझ रहें हैं।
और अब शिक्षक आनलाइन कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं। मोहल्ला क्लास भी चलाया जा रहा है और लाउडस्पीकर के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षण गतिविधियों से जोड़े रखें हैं, ताकि बच्चों का भविष्य न बिगड़े, इतना करने पर भी आज शिक्षक उपेक्षा का शिकार है, ये बहुत दुखद है।
शिक्षक विद्यार्थियों के भविष्य गढ़ने में अपने जीवन के तीस से पैंतीस वर्ष गुजार देता है और जब सेवानिवृत्त होता है तो उसे पेंशन तक नहीं दिया जाता। राष्ट्र निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देने वाले शिक्षक को वृद्धावस्था आने पर भीख भी माँगनी पड़ती है, यह बहुत शर्मनाक है।
"जिस राष्ट्र में शिक्षक का अपमान हो, वह राष्ट्र कभी विकास नहीं कर सकता।" इसलिये वर्तमान सरकार से मेरा करबद्ध निवेन है कि राष्ट्र को आधार प्रदान करनेवाले शिक्षकों को पुरानी पेंशन बहाल कर उन्हे ससम्मान जीवन गुजारने में सहयोग प्रदान करें।
तिल-तिल कर जो जलता है,
जीवन सबका गढ़ता है।
ज्ञान-दीप हर गेह जलाकर,
स्वयं मोम बन पीघलता है।
ऐसे गुरूवर को अंंत समय में,
अभाव वरण करना पड़ता है।
रविबाला ठाकुर
स./लोहारा, कबीरध,छ.ग.
स्वलिखित और मौलिक,सर्वाधिकार सुरक्षित
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