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*मनुहार*
मंद मंद चली हवा,
मन भावन मौसम..
सब खुशी मनाओ।
आसमान में बादल,
प्रकृति नाचे सजकर.
मंगल गान बजाओ।।
पपैया की सुन के टेर,
अमृत बूंदें जब बरसी.
जन-जन खुशी मनाई,
धरा पुत्र भी खिल उठा,
हाथ जोड़ करें वंदना..
देखो बरखा रानी आई।।
बजे बैलों के भी घुंघरू,
खेतों की माटी महकी..
पक्षी कलरव तान सुनाये।
चंहु ओर है खुशी निराली,
घर-आंगन चिड़िया चहकी..
मयुर मन ही मन इतराये।।
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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