कवि शिवशंकर लोध राजपूत जी द्वारा 'समय व मानव' विषय पर रचना

विषय :समय और मानव 
दिनांक :28/092020
विधा :कविता 

*समय और मानव*

मानव :
मानव ने समय से कहा 
ऐ समय मुझे भी ले चल अपने साथ 
मुझको भी अपना साथी बना ले
मत छोड़ना मेरा साथ 
ऐ समय मुझे भी ले चल अपने साथ 
जो चला तेरे साथ 
वो पार लग गया 
जिसने तुझे छोड़ा 
वह बर्बाद हो गया 
मुझे मत छोड़ना इस भंवर में 
मेरी कश्ती को पार लगाना 
मेरी कश्ती भी तू पतवार भी तू 
ऐ समय मुझे भी ले चल अपने साथ 
दूर खड़ा हूं मंजिल पाना है मुझको 
जब साथ तेरा होगा 
तभी मिलेगी मंजिल मुझको 
समय :
समय ने मानव से कहा 
ऐ मानव मंजिल होगी तेरी 
लेकिन कुछ बातें ध्यान रखनी होगी 
तुझे मुझ को पहचानना होगा 
गया समय फिर हाथ नहीं आता 
मेरी कद्र करनी होगी 
अपने आत्मविश्वास, सच्ची लगन, धैर्य
और मंजिल पाने की चाह को 
बरकरार रखना पड़ेगा 
मुझसे कदम से कदम मिलाकर चलना होगा
तभी मिलेगी मंजिल तुझको 
हे मानव चल मेरे साथ 
चल मेरे साथ,चल.... ...... 

शिवशंकर लोध राजपूत 
(दिल्ली)

मेरी यह रचना मौलिक व स्वरचित है !

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